मां बनना हर महिला के जीवन का सबसे खास और अद्वितीय पल होता है। यह एक बच्चे की पैदाइश से जुड़े अनगिनत इमोशनल और भौतिक संघर्षों के साथ आता है। लेकिन क्या होता है जब पति अपनी पत्नी की तबीयत और भावनाओं के प्रति अवहेलना करता है? आइए, हम एक ऐसी मां की कहानी सुनते हैं जिन्होंने इस चुनौती का सामना किया।
गर्मियों का मौसम था, और नीलम की आँखों में खुशियों की ख्वाहिश थी। उसकी जिंदगी में खुशियों की ख़ुशबू फैल रही थी, क्योंकि उसके और उसके पति, विक्रम के बीच एक नई ज़िन्दगी की शुरुआत हुई थी।
नीलम ने हाल ही में एक छोटे से प्यारे से बच्चे को जन्म दिया था। उसके आंचल में छलक रही थी माँ की ममता और बेटे की प्यारी मुस्कान। विक्रम भी खुश थे, उनके जीवन की आवश्यकता और प्रेम की प्यास पूरी हो गई थी।
लेकिन जैसे बच्चे का आगमन हुआ, उसकी माँ की जिंदगी में तबादला आया। नीलम को सप्ताहों तक नींद नहीं आई, और वह दिन-रात बच्चे की देखभाल में व्यस्त रहती थी। उसके दिल के आंगन में बच्चे के खुशियों की छाया बिछी हुई थी, लेकिन उसके पति के दिल के आंगन में एक अजीब सी छाया छाई हुई थी।
विक्रम की आदतें बदल गई थीं। वह पहले की तरह नीलम के साथ बिताए गुजरते समय आनंदित नहीं दिखते थे। उनके बीच के वार्तालाप में रुखावट आ गई थी, और विक्रम अब अधिक आलस्यकारी बन गए थे।
नीलम का दिल विचलित हो गया। वह समझ नहीं पा रही थी कि उसके पति में इस बदलाव की वजह क्या हो सकती है। वह यह सोचती रहती थी कि शायद उसने कुछ गलत किया हो, क्योंकि विक्रम अब उसके साथ समय बिताने में रुचि नहीं दिखाते थे।

एक दिन, नीलम ने अपने पति से बात की। “विक्रम, क्या मैंने कुछ गलत किया है?” वह पूछी।
विक्रम ने विचार किया और फिर कहा, “नीलम, तुमने कुछ गलत नहीं किया है। मैं बस थोड़ा परेशान हूँ।”
नीलम के चेहरे पर मुस्कान आई, क्योंकि उसने सोचा कि शायद उनकी सांस के पति की चिंता हो सकती है।
विक्रम ने जारी रखा, “मैं बच्चे की जिम्मेदारियों की चिंता कर रहा हूँ, और इसके बाद मैं तुम्हारे साथ ज्यादा समय बिताऊंगा।”
नीलम ने विक्रम की आंखों में आँखों में चमक देखी और कहा, “तुम्हारी यह सोच मेरे दिल को छू गई।”
विक्रम ने नीलम की हाथ में हाथ डाला और उन्होंने साथ मिलकर बच्चे के खुशियों की देखभाल करने का निश्चय किया।
वक्त बीता और विक्रम ने अपने शब्दों के मुताबिक किया। जैसे-जैसे वक्त बीतता, विक्रम के दिल में अपने बच्चे के प्रति और अपनी पत्नी के प्रति प्यार बढ़ता गया। उनके बच्चे के साथ बिताए हर पल ने उनके बंधन को मजबूत किया और उनके रिश्ते को और भी मधुर बना दिया।
वह नीलम के साथ समय बिताने लगे और बच्चे की देखभाल में मदद करने लगे। नीलम के दिल को लगा कि उसके पति की चिंता बस एक समय की थी, और उनका प्यार और समर्पण वहां था।
इस तरह, नीलम और विक्रम की जिंदगी में फिर से खुशियाँ और मोहब्बत लौट आई। उनके बच्चे की हँसी और प्यार ने उनकी जिंदगी को नई मिसाल दी।
नीलम ने जीवन के इस नए अध्याय को स्वागत किया, और विक्रम के साथ एक खुशहाल परिवार की नींव रख दी। वे जान गए कि संगठन और साझेदारी के माध्यम से वे किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं और सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
Also read, Real Moms Real Stories: आम मां से बनी ‘अनूठी सिपाही’
संपादक के विचार
कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें किसी की क्रियाओं के पीछे के असली कारण को जाने बिना किसी नकारात्मक अनुमान का आशय नहीं लेना चाहिए। नीलम ने यह सोचा कि उसके पति उसके प्रति सहानुभूति नहीं रख रहे हैं यदि उन्होंने कुछ गलत किया है, लेकिन उनके पति के साथ वार्तालाप के बाद, उन्हें पता चला कि विक्रम केवल उनके बच्चे और उनके प्रति चिंतित थे।
इस कहानी से हम यह सिखते हैं कि समझदारी और सफल रिश्तों के लिए सच्ची बातचीत बेहद महत्वपूर्ण होती है। अकसर हम अपने सोच-विचारों में डूबे रहते हैं और अपने पार्टनर के बारे में गलत तरह के संकेत का अर्थ निकालते हैं, लेकिन यदि हम साथ बैठकर सही तरह से बातचीत करें, तो अकसर हम यह जानते हैं कि हमारे पार्टनर की चिंता और प्यार हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं।
इस सच्चे प्यार और सहयोग के माध्यम से नीलम और विक्रम ने अपने जीवन को खुशियों से भर दिया और उनके परिवार को एक नई दिशा दी। वे एक-दूसरे के साथ खुशियों और संकटों के साथ जीने की नई कल्पना करते रहे, और उनका प्यार और साझेदारी दुनिया की हर मुश्किल को पार करने की शक्ति बन गया।